2122 2122 2122 212
मौन जिम्मेदार सारी हस्तियाँ खामोश हैं
मुल्क की इस दुर्दशा पर कुर्सियाँ खामोश हैं/1/
जी दहल उट्ठा समय का खलबली सी मच गई
देख किस्सा खौफ़ तारी सुर्खियाँ खामोश हैं/2/
जंग जारी है निरंतर बद व्यवस्था के खिलाफ़
त्रस्त जनता है मगर नाकामियाँ खामोश हैं/3/
रुख हवाओं का जिधर देखा उधर के हो लिए
देख कर हालात अपने मर्ज़ियाँ खामोश हैं/4/
रोज़ मर्रा जिंदगी से रोज़ होता हूँ खफ़ा
दर्द से है दोस्ताना सिसकियाँ खामोश हैं/5/
भीड़ है यूँ तो बहुत लेकिन कोई जज्बा नही
आदमी की शक्ल है पर नेकियाँ खामोश हैं/6/
जंग और सर्कस तमाशों की कहानी जिंदगी
चैन राहत और सुकूं की झलकियाँ खामोश हैं/7/